क्या होती है जीरो एफआईआर और इसे कैसे कराये
What is Zero FIR in Hindi . हर देश में कानून व्यवस्था है जिससे की लोगो को न्याय प्राप्त हो सके . अपराधी लोगो को दंड देने और उनके डर बैठाने के लिए कानून और उसके अपने नियम होते है . इससे शांति बनी रहती है पर फिर भी कोई कानूनन अपराध करता है तो उसे सजा दी जाती है . FIR एक रिपोर्ट होती है जो पुलिस को किसी अपराध के बारे में लिखाई जाती है
और फिर पुलिस से न्याय की उम्मीद की जाती है
तो दोस्तों आज हम जानेंगे What is Zero FIR in Hindi . कैसे जीरो FIR की भारत के कानून को जरुरत पड़ी . इसके क्या फायदे है .
FIR Meaning in Hindi
क्या होती है FIR और इसकी Full Form क्या है . यह सवाल हर व्यक्ति जानना चाहता है और इसे कभी ना कभी गूगल पर जरुर सर्च करता है . तो हम आपको बता दे .
कि FIR की Full Form होती है - First Information Report . एक लिखित प्रपत्र जो पुलिस अपने रिकॉर्ड में रखती है जिसमे किसी अपराध के बारे में बताया जाता है .
एक तरह से यह सबुत है कि उस अपराध के लिए पुलिस सक्रीय हो चुकी है .
ZERO FIR Meaning in Hindi
कई बार ऐसा होता है कि अपराध किसी दुसरे थाना क्षेत्र में होता है पर किसी कारण वश व्यक्ति को किसी दुसरे थाने में रिपोर्ट दर्ज करानी पड़ती है . तो यह नियम है कि आप अब किसी भी थाने में अपराध की रिपोर्ट दर्ज करा सकते है . इसी व्यवस्था का नाम है जीरो एफआईआर ( Zero FIR ) . इसके बाद सम्बन्धित थाने में आपकी ZERO FIR को ट्रान्सफर कर दिया जाता है और जल्द से जल्द उस पर कारवाई की जाती है .
ZERO FIR का सबसे बड़ा फायदा
यह FIR से अलग होती है क्योकि इसे किसी भी पुलिस स्टेशन में दर्ज कराया जा सकता है . इसके बाद इसकी फाइनल FIR उस सम्बंधित पुलिस स्टेशन में बनाई जाती है . अत: इस तरह की ZERO FIR को आसानी से कही भी आप कर सकते है .
उदाहरण के लिए मान लीजिये आप कही कार से ड्राइव कर रहे है और रास्ते में बहुत से लोग लुट पाट करते हुए आप देख लिए , आप तब अपनी कार नही रोकते और फिर 40 किमी की दुरी पर आप एक पुलिस स्टेशन देखते है और वहां इस अपराध की रिपोर्ट लिखाते है .
जिस एरिया में वो अपराध हुआ है , जरुरी नही कि आप उस एरिया के ही स्टेशन पर जाए और अपराध
Zero FIR और e-FIR में अंतर:
क्या आप जानते है कि FIR और ZERO FIR में क्या अन्तर है ?
ZERO FIR | E- FIR |
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यह किसी भी नजदीकी थाने में की जा सकती है | यह ऑनलाइन पुलिस की वेबसाइट पर होती है |
यह नजदीकी थाने से सम्बंधित थाने में ट्रान्सफर की जाती है | यह ऑनलाइन फॉर्म भर कर की जाती है जिसे भी उक्त थाने में ट्रान्सफर किया जाता है . |
यह खुद जाकर थाने में करनी पड़ती है | यह ऑनलाइन की जा सकती है जिसमे आपको एक ट्रेक नंबर मिलता है . इस नंबर को लेकर आपको थाने में तीन दिन में जाना पड़त है |
यह गंभीर अपराधो के लिए की जाती है | यह सामान्य अपराधो के लिए की जाती है |
ऑनलाइन FIR क्या होती है और कैसे है यह फायदेमंद
अपराध के दो प्रकार के लिए FIR
जिस अपराधो के लिए FIR दर्ज की जाती है वो दो प्रकार की क्षेणी में आती है .
संज्ञेय अपराध (Cognizable Offence)
असंज्ञेय अपराध (Non-Cognizable Offence)
संज्ञेय अपराध (Cognizable Offence)
संज्ञेय अपराध में वे संगीन अपराध आते है जिसकी जीरो एफआईआर दर्ज करने के बाद तुरंत प्रभाव से उसी थाने को जांच शुरू करनी होती है जिससे कि आपराधिक क्षेत्र में कोई सबूतों से छेड़ छाड़ ना की जा सके , साथ ही जीरो FIR करने वाले थाने को भी तुरंत एक्शन लेना होता है जिससे की सही तरीके से अपराधी को पकड़ा जा सके .
ऐसे संगीन अपराधो के लिए पुलिस को वारंट लेने की जरूरत नही है वो पहले ही अपराधी को पकड सकती है .
ऐसे अपराधो में रेप, जान से मारना , जानलेवा हमला करना, गोली चलाना, देशद्रोह , लोक सेवक जब रिश्वत ले आदि मामले शामिल है .
असंज्ञेय अपराध (Non-Cognizable Offence)
असंज्ञेय अपराध में मामूली केटेगरी वाले अपराध शामिल होते है जैसे मारपीट ,धोखाधड़ी , किसी की धार्मिक भावनाओं को छेड़ना आदि .
ऐसे अपराधों में वारंट निकलने के बाद ही अपराधी को पुलिस अरेस्ट कर सकती है .
ऐसे में सीधे FIR दर्ज नही किया जाता बल्कि दोनों पक्षों को सबसे पहले मजिस्ट्रेट के बाद भेजा जाता है और फिर उसके बाद ही फैसला लिया जाता है कि पक्की FIR दर्ज करे या नही
FAQ
प्रश्न 1 क्या होती है जीरो FIR ?
उत्तर : जिस FIR को किसी भी पुलिस स्टेशन में दर्ज कराया जा सकता है उसे Zero FIR कहा जाता है .
प्रश्न 1 क्या Zero FIR और E FIR एक ही होती है ?
उत्तर :जी नही , Zero FIR और E-FIR में अंतर होता है . Zero FIR पुलिस थाने में जाकर खुद को करनी होती है जबकि ऑनलाइन FIR करने को ई FIR कहते है .
आर्टिकल का सार
जीरो एफआईआर (Zero FIR) के विषय में आपको जरुरी जानकारी दी , जिससे की भविष्य में यदि आपको जरुरत हो तो आप भी इस कानूनन ज्ञान का फायदा उठा सके . भारतीय न्याय पालिका ने इसे कानून में नए रूप में जोड़ा है .
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